अभियन्ता-कर्मचारी प्रोटेक्षन एक्ट भी होगा लागू: श्रीकांत शर्मा
Date posted: 14 June 2019

लखनऊ: बिजली विभाग के अभियन्ताओं, अवर अभियन्ताओं या अन्य कार्मिकों के साथ विभागीय कार्यों के दौरान मारपीट या दुव्र्यवहार करके उन्हेंकार्य न करनें देनेपर सरकार ने कड़ा रूख अख्तियार किया है। सरकार एक तरफ जहां अभियन्ता प्रोटेक्षन एवं प्रदेष में लागू करने पर विचार कर रही है वहीं अभिन्ताओं के साथ-मारपीट के मामले में रामपुर जनपद के क्षेत्राधिकारी आषुतोश तिवारी को जनपद से स्थानान्तरित कर पुलिस महानिदेषक कार्यालय लखनऊ से सम्बद्ध कर दिया गया है तथा षासन स्तर से उनके विरूद्ध अनुषासनात्मक कार्रवाईभी चालू कर दी गयी है।
रामपुर में क्षेत्रधिकारी के कार्यालय में वहाॅ के अवर अभियन्ता एवं सहायक अभियन्ता के साथ पुलिस कर्मिकों ने मारपीट की थी। उक्त प्रकरण पर प्रदेष के ऊर्जा मंत्री पंडित श्रीकान्त शर्मा ने आष्वासन दिया था कि दोशियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही सुनिष्चित की जायेगी। ऊर्जा मंत्री का कहना है कि विद्युत चोरी रोककर आपूर्ति को बेहतर करने के महत्वपूर्ण कार्य में विद्युत कार्मिकों के साथ मारपीट या दुव्र्यवहार की घटनायें अत्यन्त चिंताजनक एवं दुखद हैं इससे विद्युत व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसी घटनायें न हो और विद्युत कर्मी पूरी सुरक्षा के माहौल में अपना कार्य कर सके यह सुनिष्चित करने के लिए सभी कदम उठाये जायेंगे।
प्रमुख सचिव ऊर्जा एवं कारपोरेषन अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया है कि ऊर्जा मंत्री पण्डित श्रीकान्त शर्मा के निर्देष पर षासन ने जिलाधिकारी कानपुर की अध्यक्षता में विद्युत चोरी की प्रभावी ‘उ0प्र0 विद्युत सेवाकर्मी और विद्युत सेवा संस्थान (हिंसा और सम्पत्ति की छति निवारण) अधिनियम 2018’ के परीक्षण हेतु गठित समिति की संस्तुतियां षासन को मिल गयी है जिसे षीघ्र लागू करने हेतु परीक्षण कराया जा रहा है।
समिति ने विस्तृत अध्ययन के बाद यह संस्तुति दी है कि ‘उ0प्र0 विद्युत सेवाकर्मी और विद्युत सेवा संस्थान (हिंसा और सम्पत्ति की छति निवारण) अधिनियम 2018’ लागू किया जाये।विद्युत आपूर्ति एक ‘‘आवश्यक सेवा‘‘ है, अत प्रदेश में विद्युत चोरी की रोकथाम तथा विद्युत आपूर्ति बनाये रखने हेतु प्रस्तावित अधिनियम के बनाये जाने की आवश्यकता है। क्राॅस एफ0आई0आर0 के मामलों में घटनाओं की प्राथमिक जांच उच्च स्तर के पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी द्वारा किये जाने के उपरान्त ही विधिक कार्यवाही किये जाने का प्रावधान हो।
इस विशिष्ट कानून में न्यूनतम कारावास 06 माह व न्यूनतम जुर्माना 50000 रू0 का किया जाना भी उचित होगा। कानून की सीमा में विद्युत विभाग में कार्यरत संविदा कर्मियों को भी आच्छादित किया जाना प्रस्तावित है।सीमित ने सुझाव दिया है कि विद्युत चोरी को रोकने हेतु की जाने वाली रेड की कार्रवाई का मूवमेंट रजिस्टर रखा जाये व गोपनीय अभियानों में रेड करने वाले अधिकारी अपने से उच्च अधिकारी को संज्ञान में लेकर कार्यवाही करें व कृत कार्यवाही की वीडियों व फोटों साक्ष्य के रूप में सुरक्षित रखें।
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