भारत बंद ने असफलता का बनाया विश्व रिकॉर्ड: राजीव रंजन

पटना: विपक्षी दलों द्वारा आज आयोजित भारत बंद को विफल बताते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने आज कहा कि पिछले 30 वर्षों में किसी बंदी का ऐसा हश्र नहीं हुआ जैसा आज तथाकथित किसान संगठनों के समर्थन में विपक्षी दलों द्वारा आयोजित बंद का हुआ है।

किसानों के नाम पर हुए इस बंद को आम जनता के साथ-साथ देश भर के किसानों ने भी नकार दिया है। जनता जान चुकी है कि किसानों के नाम पर किया जा रहा यह सारा उत्पात कुछ राजनीतिक दलों का पॉलिटिकल स्टंट है। लोग समझ चुके हैं कि यह अनाज उगाने वाले किसानों की बंदी नहीं बल्कि किसानों के भेष में वोटों की फसल उगाने की कोशिश कर रहे विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं का जमावड़ा है।   

उन्होंने कहा कि आज की बंदी में अधिकांश जगहों पर जन जीवन पूरी तरह सामान्य रहा। गिने चुने स्थानों पर राजनीतिक कार्यकर्ताओं के भेष में राजद-कांग्रेस द्वारा पोषित असामाजिक तत्वों ने सड़क को जाम करने का प्रयास जरुर कियालेकिन वहां भी कुछ समय में ही स्थिति सामान्य हो गयी। बंदी की सबसे हास्यास्पद बात यह रही कि बंदी करवाने वाले 90 प्रतिशत से अधिक लोगों को यह पता ही नहीं था कि बंदी किस लिए है। मीडिया द्वारा सवाल पूछे जाने पर इनके कार्यकर्ता बगले झांकते दिखे। वास्तव में पिछले 30 वर्षों का इतिहास उठा कर देखें तो जनता ने किसी भी बंद को इतनी बुरी तरह से नहीं नकारा हैजैसा इस बंदी को।

 श्री रंजन ने कहा कि यह फ्लॉप आंदोलन विपक्षी दलों के धराशायी हो चुके राजनीतिक ज्ञान को भी दर्शाता है। जमीनी जानकारी रखने वाला कोई भी राजनीतिक दल इस तरह के आयोजन करने से पहले पूरा अनुमान लगा लेते हैं। लेकिन पहले से परिणाम जानने के बाद भी इस तरह की चेष्टा करके विपक्षी दलों ने यह दिखा दिया कि उनकी राजनीतिक बुद्धि पूरी तरह से रसातल में चली गयी है।

 भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि सत्ता के लालच में देश का विपक्ष आज इतना अँधा हो चुका है कि अब उन्हें देश और किसानों के हित की भी परवाह नहीं रही। किसानों के नाम पर इनका एक साल से चल रहा उत्पात सिर्फ किसानों का विकास रोकने की साजिश है। इन्हें यह बर्दाश्त ही नहीं हो रहा है कि मोदी सरकार किसानों के हित में एक के बाद एक क्रांतिकारी फैसले ले रही है। खाद की कालाबाजारी रोकना, एमएसपी में लगातार हो रही बढ़ोतरी, किसानों के लिए बीज से बाजार तक के किये जा रहे काम आदि को यह दल छल, बल के सहारे रोकना चाहते हैं। इनकी मंशा किसानों के उत्थान की नहीं है बल्कि यह चाहते हैं कि किसान सदैव गरीब और इनके ऊपर आश्रित रहें, जिससे यह वोटों की फसल बटोर सकें। लेकिन आज के भारत बंद की ऐतिहासिक विफलता ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जनता की अदालत में इनका झूठ चलने वाला नहीं है। 

Facebook Comments