प्राकृतिक खेती से आत्मनिर्भर बनेंगे किसान: राजीव रंजन

पटना: प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने आज कहा कि भारत शुरुआत से ही एक कृषि प्रधान देश रहा है. पुरातन काल में भारत को सोने की चिडियां बनाने में किसानों की भूमिका सर्वाधिक थी. फसल उत्पादन से लेकर खाद-बीज तक किसान खुद से तैयार करते थे. लेकिन आजादी के बाद खाद्यान्न उत्पादन में तेजी लाने के लिए खेती में रासायनिक खादों व आयातित बीजों का प्रयोग शुरू हुआ और बाद में किसान उत्पादन के लिए बाजार पर निर्भर होते चले गये. इससे खेती की लागत बढ़ गयी और किसानों की गाढ़ी कमाई बड़ी कंपनियों के हाथों में जाने लगी.

उन्होंने कहा कि पारंपरिक खेती छूटने से न केवल किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है बल्कि रासायनों के अंधाधुंध प्रयोग से खाद्यान्नों व फलों-सब्जियों की पौष्टिकता का भी ह्रास हुआ है. इसके अतिरिक्त बाजारी ताकतों ने ऑर्गनिक फ़ूड के नाम पर इन्हीं प्राकृतिक उत्पादों को दुगने-तिगुने दामों पर बेचना शुरू कर दिया जो पहले सर्वसुलभ थें. अब वक्त आ गया है कि वापस अपनी जड़ों की लौटा जाए, जिससे किसानों को लाभ मिलने के साथ-साथ समाज को भी फायदा मिले.

श्री रंजन ने कहा कि प्राकृतिक खेती से ही किसानों की आत्मनिर्भरता की राह निकलती है. इस खेती में ना तो खाद पर खर्च करना है, ना कीटनाशक पर. इसमें रासायनिक खादों की जगह गोबर, गोमूत्र, नीम आदि के प्रयोग से ऐसे तत्व तैयार किये जा सकते हैं, जिससे न केवल फसलों की सुरक्षा होती है, बल्कि जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है. इसके अलावा चाहे कम सिंचाई वाली ज़मीन हो या फिर अधिक पानी वाली भूमि, प्राकृतिक खेती से किसान साल में कई फसलें ले सकता है. यही नहीं, जो गेहूं-धान-दाल या जो भी खेत से कचरा निकलता है, जो पराली निकलती है, उसका भी इसमें सदुपयोग किया जाता है. इसका सीधा अर्थ है कि इसमें लागत कम और मुनाफा अधिक है, जिसकी किसानों को सबसे अधिक आवश्यकता है.

प्रधानमन्त्री मोदी की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि वास्तव में किसानों के हित में कई ऐतिहासिक कार्य करने वाले प्रधानमन्त्री मोदी को इसके लिए धन्यवाद देना चाहिए कि उन्होंने प्राकृतिक खेती को एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है. उन्होंने खेती के प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ मिलाकर प्रयोग करने की जो अपील की है, उसके भविष्य में काफी सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे.

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