उद्योगों से नहीं तो क्या ‘लाठी’ से होगा विकास, बताएं राजद: राजीव रंजन

पटना: राज्य में लग रहे एथेनोल प्लांटों को फिजूल बताने संबंधी राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बयान को हास्यास्पद बताते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व मीडिया विभाग के प्रभारी राजीव रंजन ने आज कहा कि लालू-राबड़ी परिवार की परिक्रमा करते-करते राजद नेताओं का बचा-खुचा ज्ञान भी विलुप्त हो गया है. अपने आतंक राज में बिहार के उद्योग-धंधों का कबाड़ा कर देने वाले इस दल को एनडीए राज में हो रहा बिहार का औद्योगिक विकास फूटी आंखों नहीं सुहा रहा है. यही वजह है कि पार्टी ने अब सीधे अपने प्रदेश अध्यक्ष को विकास विरोधी बयान देने के लिए उतार दिया है.

उन्होंने कहा कि एथेनोल प्लांट के बजाए भूखे को रोटी देने की सिफारिश कर रहे जगदा बाबू शायद भूल गये हैं कि बिहार की जनता स्वाभिमानी है. उन्हें मुफ्त की रोटी के बजाए मेहनत कर के कमाना पसंद है. देश के सभी विकसित राज्य भी बिहारियों की मेहनत से ही बने हैं. रोजगार से ही रोटी आती है और व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है और इसी से राज्य या देश तरक्की करता है. आज यदि सरकार लोगों को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें राज्य में ही रोजगार देने के लिए उद्योग-धंधे लगवा रही है तो इसमें राजद के पेट में क्यों दर्द हो रहा है?

भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि जगदानंद सिंह को यह समझना चाहिए विकास का मतलब उद्योगपतियों से रंगदारी या फिरौती वसूलना अथवा एक ख़ास परिवार की संपत्ति बढ़ाना नहीं होता है. विकास का मतलब आम आदमी की समृद्धि और उसे मिलने वाली सुविधाओं में बढ़ोतरी होता है. वह समझें कि विकास का अर्थ व्यवसायियों को भयभीत कर के राज्य से भगाना नहीं होता है बल्कि उन्हें सुविधाएं देकर राज्य में निवेश बढ़ाना होता है.

श्री रंजन ने कहा कि हर कोई जानता है कि लालू परिवार का विकास से हमेशा 36 का आंकड़ा रहा है. इनके राज में विकास का मतलब हत्या, लूट, अपहरण और रंगदारी थी. लाठी के ज़ोर से परिवार की संपत्ति बढ़ाना इनके विकास का अभिन्न हिस्सा था. इसीलिए इन्हें आज हो रहे विकास से इतनी चिढ़ है. जहां पूरी दुनिया उद्योग-धंधों की स्थापना को विकास मानती हैं, वहीं राजद आज भी बिहार को लाठी के दम पर हांकने की मंशा रखे हुए है. जगदानंद सिंह को यह बताना चाहिए कि यदि उद्योगों से विकास नहीं होगा तो क्या लाठी और लालटेन से होगा. 

Facebook Comments