कोरोना महामारी में केजरीवाल सरकार के मोहल्ला-क्लीनिकों का पर्दाफाश

नई दिल्ली: कोरोना को लेकर दिल्ली में जो स्थिति इस वक्त बनी हुई है उसमें 100 फीसदी केजरीवाल सरकार की लापरवाही और कुशासन की देन है। गरीब हो या अमीर सभी को सरकार की बेबस और लचर स्वास्थ्य व्यवस्था का शिकार होना पड़ा है। खुद के स्वास्थ्य विभाग की सबसे बेहतरीन नमूनों में से एक मोहल्ला क्लीनिक जिसके नाम पर केजरीवाल द्वारा खूब प्रचार किया गया और उस प्रचार में पानी की तरह पैसे बहाए गए। इसे गरीबों के लिए संजीवनी तक की संज्ञा दी गई, लेकिन आज महामारी में सारे मोहल्ला क्लीनिक बंद हैं।

केजरीवाल द्वारा बताया गया कि मोहल्ला क्लीनिक दिल्ली के गरीबों के लिए रामबाण साबित होगा और अब अस्पतालों में लंबी लाइन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सस्ती और बेहतर सुविधाओं के साथ लोग इसमें अपना इलाज करा सकेंगे, लेकिन आज स्थिति यह है कि यह मोहल्ला क्लीनिक की जरूरत जब सबसे ज्यादा गरीबों को पड़ी तब यह सिर्फ चूहे और शराबियों के शराब पीने का अड्डा बन कर रह गई हैं और साथ ही साथ केजरीवाल के बैनर और पोस्टर लगाने की जगह। प्रदेश कार्यालय में आज केजरीवाल सरकार के मोहल्ला क्लीनिक का पर्दाफाश करने के लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता, नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता सुश्री निघत अब्बास उपस्थित थीं।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार द्वारा मोहल्ला क्लीनिक खोले जाने के बाद खूब प्रचार किया गया इनकी संख्या 504 बताई जाती है और साथ ही यह भी कहा गया था कि आने वाले समय में इनकी संख्या 1000 तक की जाएगी। इतना ही नहीं 100 महिला मोहल्ला क्लीनिक खोलने के साथ-साथ 22 मोबाइल मोहल्ला क्लीनिक खोलने की बात भी कही गई थी जो घर-घर जाकर लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं देने का काम करेंगी। इन्होंने सिर्फ एक सपना दिखाया जिसकी सच्चाई इस महामारी में सबके सामने आ गई। आज 504 मोहल्ला क्लीनिक की स्थिति क्या है यह दिल्ली की जनता से बेहतर कोई नहीं जान सकता। उन्होंने कहा कि यहा चिकित्सकीय इलाज मिलना तो दूर बात है, बंद पड़े दरवाजे और आसपास घास और मिट्टी  सब कुछ बयान कर देती है। मोहल्ला क्लीनिक की दीवारों  पर, बड़े-बड़े पोस्टर में केवल केजरीवाल नजर आते हैं। इस महामारी में जब पूरी दिल्ली चीख रही थी तो उस वक्त मोहल्ला क्लीनिक बन्द क्यों हो गये ?
आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने मोहल्ला क्लीनिक को लेकर जो भी दावे किए वे बिल्कुल झूठे हैं। डॉक्टरों का कहना था कि हमें पीपीई किट के साथ अन्य जरूरी और मूलभूत सुविधाएं नहीं दी जाती हैं। इसीलिए डर रहता है कि हम भी कोरोना पॉजिटिव न हो जाए। ऐसे में जब हमें अपनी ही सुरक्षा का डर लग रहता है तो हम मरीजों की सुरक्षा कैसे कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली में लगभग 504 मोहल्ला क्लीनिक हैं। इनमे  डॉक्टर सिर्फ रेफरल के रूप में काम करते  है। अगर यहा केवल जांच होती कि किसको अस्पताल जाने की जरूरत है और कौन होम आइसोलेट होकर ठीक हो सकते हैं तो आज दिल्ली की तस्वीर कुछ और होती।
दिल्ली को खून के आंसू रोने पर मजबूर नहीं होना पड़ता।  मोहल्ला क्लीनिक में कम से कम ऑक्सीजन लेवल और टेम्परेचर तो मापा जा सकता था, लेकिन केजरीवाल सरकार पूरी तरह से फेल साबित हुई। गरीब और मजदूर वर्ग कोरोना पीड़ित होने के बावजूद भी अपना इलाज कराने से डरते थे, क्योंकि उन्हें डर था कि अगर वह अस्पतालों में जाएंगे तो उन्हें मोटी रकम चुकानी पड़ेगी। इसलिए उनकी आखिरी उम्मीद मोहल्ला क्लीनिक ही थी।  इसलिए केजरीवाल सरकार से सीधा सवाल है कि जब महामारी के समय दिल्ली के सभी डॉक्टर अपने-अपने घर से कंसल्टेशन दे रहे थे तो उसके विपरीत मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टरों ने सामान्य बीमारी अथवा कोरोना बीमारी पर फिजिकल या वर्चुअल कंसल्टेशन क्यों नहीं दिया?
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की सरकार पिछले 6 सालों में दिल्ली की जनता को लूटने के सिवा और कोई काम नहीं किया। कोरोना महामारी जैसी आपदा में भी आम आदमी पार्टी के विधायक एवं मंत्री हर एक चीज में लूटने का काम करते रहे। साल 2015-2016 के बजट में लगभग 125 करोड़ रुपये, 2016-2017 में 10000 बेड बनाने की बजट को जोड़ने के बाद 5259 करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही गई पर ना तो बेड दिखाई दिए और ना ही मोहल्ला क्लीनिक। 2017-2018 में 203 करोड़ रुपये 110 मोहल्ला क्लीनिक बनाने में खर्च करने की बात कही गई। इसी तरह 189 मोहल्ला क्लीनिक बनाने में 403 करोड़ रुपये खर्च करने की बात 2018-19 की बजट में कही गई। 2020-21 में 333 मोहल्ला क्लीनिक के लिए 375 करोड़ रुपये और 2021-22 में महिला मोहल्ला क्लीनिक बनाने के लिए 209 करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही गई। लेकिन हकीकत यह है कि मोहल्ला क्लीनिक के नाम पर कई सौ करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है जिसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए।
कई जगहों पर तो एक ही एड्रेस पर दो-दो मोहल्ला क्लीनिक चल रहे हैं। जैसे इंद्रपुरी में, आजादपुर में, निहाल विहार में, एक ही एड्रेस पर दो-दो मोहल्ला क्लीनिक चल रहे हैं। टेस्टिंग और दवाइयों के नाम पर भारी लूट हुई हैं। प्रत्येक मोहल्ला क्लीनिक में 4 लोगों का स्टाफ होता है जो सभी कॉन्ट्रैक्ट पर होते हैं जिन्हें प्रति मरीज भुगतान किए जाते हैं। मौके का फायदा उठाकर आने वाले मरीजों की रजिस्टर में फर्जी एंट्री करके एक मोटी रकम का बिल बनाकर भारी भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है। आपदा को अवसर बनाना इनकी कला बन गई है। ज्यादातर मोहल्ला क्लीनिक दलालों के माध्यम से अपने चहेतों के मकान दो से तीन गुने ज्यादा रेट पर किराये पर दिए गए। मतलब टेस्टिंग, वैक्सीन, कॉन्ट्रैक्ट, किराये आदि के नाम पर भ्रष्टाचार पूरे जोर-शोर से चल रहा है। इसलिए केजरीवाल से सीधा सवाल है कि केजरीवाल जी, मोहल्ला क्लीनिक को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाकर जनता की गाढ़ी कमाई से खिलवाड़ क्यों कर रहे हैं ?
रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि जब मोहल्ला क्लीनिक खोला गया तो दूसरे राज्यों में भी इसका खूब झूठा प्रचार किया गया। लेकिन आज इस मोहल्ला क्लीनिक की हालत जर्जर हो चुकी है इसके जिम्मेदार सिर्फ केजरीवाल और उनके स्वास्थ्य अधिकारी हैं। जिस मोहल्ला क्लीनिक में गरीबों का इलाज होना चाहिए था वह मोहल्ला क्लीनिक आज शराबियों का अड्डा और जानवरों का पिकनिक स्पॉट बन चुके है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया कहते हैं कि कुल 496 मोहल्ला क्लीनिक हैं जबकि आरटीआई में इनकी संख्या 504 बताई जाती है। इसके ठीक विपरीत स्वस्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन बयान देते हैं कि दिल्ली में इस वक्त 450 मोहल्ला क्लीनिक कार्य कर रही है और 10 से 12 बंद हैं। जबकि हकीकत यह है कि दिल्ली में पोटा केविन्स में सिर्फ  359 मोहल्ला क्लीनिक बनाये गए हैं और इनके ऊपर 1600 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए।  आज दिल्ली के जिन इलाको में मोहल्ला क्लीनिक है वहां सिर्फ केजरीवाल के बड़े-बड़े पोस्टर और होर्डिंग्स लगे हुए हैं। मोहल्ला क्लीनिक  का स्टाफ उन होर्डिंग्स की सुरक्षा मे  जुटा है। केजरीवाल को दिल्ली की जनता को जवाब देना चाहिए कि आखिर मोहल्ला क्लीनिक की  कोरोना  के इलाज में कोई भागीदारी नहीं थी, यह सिर्फ “आप“ के विज्ञापन का  अड्डा  बना  हुआ है।
पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एवं सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि आज दिल्ली में कोरोना फैला हुआ है और जिस तरह की अफरा-तफरी मची हुई है उससे कहीं ना कहीं लोगों को मोहल्ला क्लिनिक से निजात मिल सकती थी। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में जिस तरह से पूरे दिल्ली को जख्म दिया है, अफरा-तफरी मची, जन जीवन का नुकसान हुआ, उसमें दिल्ली सरकार के “वर्ल्ड क्लास“ मोहल्ला क्लीनिक की पोल खुल चुकी है। इस महामारी में टेस्टिंग और वैक्सीनेशन सबसे बड़ा और सबसे प्रमुख कदम है। क्या केजरीवाल का वर्ल्ड क्लास मोहल्ला क्लीनिक में इतना भी नहीं हो सकता था। सरकार ने जिस तरह से टेस्टिंग और वैक्सीनेशन के लिए अलग से केंद्र खोलें वह इन मोहल्ले क्लीनिक में भी हो सकते थे और स्टाफ की जरूरत भी नहीं पडती क्योंकि एक मोहल्ला क्लीनिक में 4 स्टाफ पहले से ही थे। इतना ही नहीं केजरीवाल सरकार निगम और खुद के डिस्पेंसरी को पहले ही पंगु बना चुकी है।
वैक्सीनेशन और टेस्टिंग के लिए दिल्ली के हर एक केंद्र चाहे वह सरकारी हो या निजी सभी जगह लोगों की एक लंबी कतार देखी गई। यहां कुछ लोगों की टेस्टिंग हुई और कुछ लोग भीड़ की वजह से बिना टेस्टिंग के घर आ गए जिस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया और यही लोग कोरोना स्प्रीडर बन गए। आज अगर या मोहल्ला क्लीनिक अपने बेहतर स्थिति में होती तो शायद दिल्ली सरकार को कुछ अलग से करने की जरूरत ही नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार केवल आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करती रही और स्वास्थ्य व्यवस्था की मूलभूत जरूरतों को भी पूरा करने में असमर्थ रही। यहां तक कि हाइकोर्ट ने दिल्ली सरकार का कड़े शब्दों में निंदा करते हुआ सवाल पूछा और कहा कि अगर आपने कोई जगह तैयार की और उसका ऐसी महामारी के दौरान इस्तेमाल तक नहीं हो सकता तो ऐसी जगह का क्या फायदा? क्या केजरीवाल की नजर में वर्ल्ड क्लास, थर्ड क्लास मोहल्ला क्लीनिक है या फिर “wrost क्लास“ मोहल्ला क्लीनिक है? इसलिए आज मैं दिल्ली सरकार से पूछना चाहता हूं कि आपके मोहल्ला क्लीनिक में टेस्टिंग और वैक्सीनेशन न करवाने का कारण क्या था?

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