अवगुणों पर सदगुणों की जीत का प्रतीक पर्व है नवरात्रि: संजय जायसवाल

पटना: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने आज फेसबुक के जरिए सभी बिहारवासियों को नवरात्रि की शुभकामनायें देते हुए इसे अवगुणों पर सदगुणों की विजय का प्रतीक पर्व बताया. अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा कि असुर कहीं अलग से नहीं आते बल्कि वह हमारे बीच से ही उत्पन्न होते हैं. जो सभ्यता के विपरीत और विरोध में काम करें वही असुर है. दैवीय और आसुरी गुण प्रत्येक मानव में विद्यमान होते हैं.

दैवीय गुण जहां हमें देश, राज्य, समाज और मानवता के कल्याण की तरफ प्रेरित करते हैं, वहीं आसुरी शक्तियां हमें विध्वंस और बिखराव के रास्ते पर ले जाती हैं. दैवीय गुणों से युक्त लोग जहां स्व के बजाए पर के कल्याण की चिंता में निमग्न रहते हैं, वहीं आसुरी ताकतों के गुलामों के लिए निज स्वार्थ से बड़ा कुछ नहीं होता.

 उन्होंने लिखा कि नवरात्रि का त्यौहार हमें इन्हीं आसुरी ताकतों को साधने और समाज के हित में उन्हें जीतने की प्रेरणा प्रदान करता है. भक्ति की शक्ति से लबरेज देवी पूजन के 9 दिन हमें सिखाते हैं कि तप, त्याग, ज्ञान, शील, मनन और चिंतन के साथ यदि हम खुद पर संयम रखना सीख लें तो महिषासुर और रावण जैसे दुर्घर्ष दैत्यों का दर्प भी चूर-चूर किया जा सकता है. यह दिखाता है कि अगर मानव पूरे मनोयोग और समर्पण के साथ चले तो पहाड़ों में भी उसका रास्ता रोकने की शक्ति नहीं होती. लेकिन यदि मानव लोभ, लालच, स्वार्थ और बल के अहंकार के अंधकार में डूब कर नीति विरुद्ध मार्ग अपना ले, तो उसे पतन से कोई नहीं बचा सकता.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने लिखा कि आसुरी शक्तियां साकार नहीं बल्कि दैवीय शक्तियों की तरह निराकार भी होती हैं. इनके भी कई स्वरूप होते हैं. समाज में व्याप्त कुरीतियां, भ्रष्टाचार, धर्मांधता, कुत्सित कार्य, अस्वच्छता आदि आसुरी शक्तियों के ही तो स्वरूप है. रावण के दस सिर इन्हें ही प्रदर्शित करते हैं. महिषासुर भी इंसान की पाशविक प्रवृति का ही द्योतक है. नवरात्रि हमें बताती है कि इन अवगुणों को सद्गुणों और कर्मठता से समाप्त करने से ही एक शांत, समृद्ध और सकल समाज की स्थापना की जा सकती है.

डॉ जायसवाल ने लिखा कि गौर करने वाली बात इन दानवों का पूर्णकालिक संहार नहीं किया जा सकता. अलग-अलग काल खंडों में इनका आगमन विभिन्न रूपों में होता रहता है. इसलिए यह जरूरी है कि इनके खात्मे की क्रिया भी निरंतर चलती रहनी चाहिए. इस त्यौहार का हर साल होने वाला आयोजन और अंत में रावण दहन हमें यही तो बताता है. लोगों को दशहरे की शुभकामनायें देते हुए उन्होंने लिखा कि आइए, इस दशहरे को कुछ ख़ास मनाएं. इस पावन अवसर पर हम सभी सदाचार को अपनाने, आपसी भाईचारे को बढ़ाने और समाज में शांति व सद्भाव बरकरार रखने का संकल्प लें. हम प्रण लें कि गरीबी, अस्वच्छता, आतंकवाद, अशिक्षा आदि से हमारा संघर्ष सतत चलता रहेगा. सन्मार्ग के रास्ते में आने वाली हर बाधा को अपने सुकर्मों से ध्वस्त करना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए.

नवरात्रि के इस पावन पर्व की सभी को अशेष शुभकामनायें. सभी के घरों में सुख, शांति, स्वास्थ्य व सौभाग्य का वास हो. देश में खुशहाली छाए, हर प्राणी का कल्याण हो.

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