भाजपा के रहते आरक्षण खत्म करने की किसी में हिम्मत नहीं: संजय जायसवाल

पटना: भाजपा पर आरक्षण समाप्त करने की साजिश रचने के तेजस्वी के आरोपों को हास्यास्पद बताते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने आज कहा कि तेजस्वी के राजनीति में आने के वक्त बहुतों को लगा था कि शायद अब राजद की भ्रष्ट और विकास को नष्ट करने वाली लठ्ठमार राजनीति में कोई बदलाव आएगा. लेकिन अपने बयानों और आचरण से उन्होंने यह साबित कर दिया है कि राजद के लिए झूठ और फ़रेब की राजनीति छोड़ना पूरी तरह नामुमकिन है.

उन्होंने कहा कि राजद का इतिहास गवाह है कि जब भी उन्हें राजनीति करने के लिए कोई मुद्दा नहीं मिलता तो वह आरक्षण पर अपना घिसा-पीटा रिकॉर्ड बजाने लगते हैं. दरअसल इन्हें बिहारियों की बुद्धिमता को कम आंकने की बीमारी है. इन्हें लगता है कि आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर यह अभी भी बिहारवासियों को बरगलाते हुए वोटों की फसल लहलहा लेंगे. तेजस्वी जी यह जान लें कि काठ की हांडी बार-बार चूल्हे पर नहीं चढ़ती. इतने वर्षों में बिहारवासी यह जान चुके हैं कि भाजपा के रहते हुए किसी में आरक्षण को समाप्त करना तो दूर उसमें छेडछाड करने की भी हिम्मत नहीं है.

डॉ जायसवाल ने कहा कि तेजस्वी जी को यह ज्ञात नहीं है कि भाजपा के शासन में दलितों-गरीबों-पिछड़ों के आरक्षण की व्यवस्था जितनी मजबूत हुई है, उतनी पहले कभी नहीं हुई थी. बल्कि भाजपा के राज में आज गरीब सवर्णों को भी इसका लाभ मिलने लगा है. खुद प्रधानमन्त्री मोदी कई बार यह बोल चुके हैं कि उनके रहते आरक्षण को समाप्त करना किसी के लिए भी नामुमकिन है.

भाजपा सरकार ही है जिसने मेडिकल एजुकेशन से जुड़े अखिल भारतीय कोटे में ओबीसी समुदाय व आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की है. भाजपा के कारण ही राजद-कांग्रेस के जबर्दस्त विरोध के बावजूद आज पिछड़ा-अतिपिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हो सका है. बिहार की पंचायती राज व्यवस्था व सरकारी नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण एनडीए सरकार में ही दिया गया. दूसरी तरफ राजद-कांग्रेस जैसे दलों ने इसमें सिर्फ व्यवधान ही डाला है.

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि हकीकत में राजद-कांग्रेस जैसे परिवारवादी दलों से बड़ा आरक्षण विरोधी कोई और नहीं है. आरक्षण इनके लिए केवल लोगों को गुमराह करने का एक जरिया भर है. इतिहास गवाह है कि इन्होने आरक्षण व्यवस्था को और मजबूत व कारगर बनाने के लिए भाजपा द्वारा किये गए प्रयासों की राह में हमेशा ही रोड़े अटकाने का काम किया है. इनसे पूछें तो यह अपना किया एक भी काम नहीं गिना सकते जिससे आरक्षण की व्यवस्था को मजबूती मिली हो, लेकिन ऐसे ढ़ेरों प्रकरण बताए जा सकते हैं जिससे इनकी आरक्षण विरोधी मानसिकता का पता चलता है.

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