दस में से छह सफाई साथियों का नहीं है अपना बैंक खाता

नई दिल्ली: स्वच्छ समाज के लिए कचरा बीनने का महत्वपूर्ण काम करने वाले सफाई साथियों की देश में सामाजिक और आर्थिक स्थिति अधिक बेहतर नहीं है। दस में से छह सफाई साथियों के अपने बैंक खाते नहीं हैं वहीं अधिकांश सफाई साथ अस्वास्थ्यकर अस्थाई जगहों या टीन शेड्स में रहने को मजबूर हैं। यूएनडीपी इंडिया (यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम इंडिया) ने इस विषय को लेकर एक विस्तृत विश्लेषण जारी किया है। 14 शहरों के 9300 सफाई कर्मचारियों से मिली जानकारी के आधार पर जारी किए गए विश्लेषण को अब तक का सबसे बड़ा आकलन माना जा रहा है। कचरा बीनने वाले सफाई साथियों की स्थिति के विश्लेषण को नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत द्वारा मंगलवार को औपचारिक रूप से जारी किया गया।

इस अवसर पर उपस्थित अमिताभ कांत ने कहा कि कचरा बीनने वाले या सफाई साथी सही मायने में अदृश्य पर्यावरण विद् हैं जो कचरे के निस्तारण में अहम भूमिका निभाते हैं। सफाई साथियों का ठोस प्लास्टिक कचरा प्रबंधन में भी अहम योगदान होता है। नीति आयोग, आवास एवं विकास मंत्रालाय तथा यूएनडीपी के साथ मिलकर समाज के इस अहम वर्ग के उत्थान में अपना योगदान देने को लेकर काफी खुश है।

यूएनडीपी के प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रम के तहत बेसलाइन परियोजना उत्थान- राइज विद रिसाइलेंस के एक हिस्से के रूप मे शुरू की गई थी। उत्थान यूएनडीपी इंडिया, कोविड19 के समय में सफाई साथियों तक सरकारी योजनाओं को पहुंचाने, योजनाओं को अधिक बेहतर, सुलभ और समुदायों के अनुसार बनाने की पैरवी करता है। बेसलाइन या जमीनी आकलन में महिला और पुरूष दोनों ही सामाजिक व आर्थिक स्थिति का पता लगाया गया जोकि लगभग दोनों ही वर्ग में एक समान देखी गई। आकलन में पाया गया कि सफाई साथी अपनी आय और व्यवसाय न बदल पाने को लेकर बाध्य हैं। इसके लिए यूएनडीपी ने कई तरह की कल्याणकारी योजनाओं की सिफारिश की है। इससे पहले यूनएनडीपी ने वर्ष 2021 में सबसे पहले जापान दूतावास के सहयोग ने गोवा राज्य में सफाई साथियों के सामाजिक कल्याण योजना की शुरूआत की थी। केन्द्र सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का संचालर करने वाले सरकारी विभाग और सफाई साथियों के बीच महत्वपूर्ण सेतु का काम करता है।

इस अवसर पर उपस्थित जापान दूतावास के सोशल एंड डेवलमेंट मंत्री शिंगो मियामोतो ने कहा कि जापन इस तरह के उत्कृष्ट कार्यो का समर्थन देने में खुशी महसूस करता है जिसका उद्देश्य एक विशेष वर्ग के सामजिक उत्थान के साथ ही प्लास्टिक अपशिष्ट निस्तारण के साथ समाज को सशक्त बनाना हो। यूएनडीपी के उत्थान प्रोजेक्ट का समर्थन करना ही हमारी इस बात को लेकर कटिबद्धता को दर्शाता है। शिंगो मियामोतो ने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि  सरकारी योजनाओं और सामाजिक समावेश से इस वर्ग के एक बेहतर भविष्य का निर्माण किया जा सकता है। यूएनडीपी इंडिया की रेजिडेंट प्रतिनिधि सुश्री शोको नाडा ने कहा कि सफाई साथी प्लास्टिक कचरा के निस्तारण में अहम भूमिका निभाते हैं सफाई साथियों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति का विश्लेषण के मजबूत निष्कर्ष के माध्यम से शहरी निकायों और सरकारी विभागों के साथ मिलकर ऐसे कार्यक्रम बनाने में योगदान देगें जिससे सफाई साथियों के जीवन पर व्यापक असर पड़ेगा। इस अवसर पर हिंदुस्तान लिवर ने अगले चरण के उत्थान अपना सहयोग देने की बात कही और कहा कि कंपनी दिल्ली और मुंबई के 3000 सफाई साथियों तक पहुंचेगा। इससे पहले भी हिंदुस्तान यूएनडीपी के साथ मिलकर मुंबई में प्लास्टिक कचरा निस्तारण पर काम कर रहा है। वर्तमानमें यूएनडीपी इंडिया स्थाई अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में कारपोरेट्स व शहरी स्थानीय निकायों के साथ काम कर रहा है। जिसके जरिए अब तक 83000 मिट्रिक टन प्लास्टिक कचरे का निस्तारण किया जा चुका है।

क्या है कचरा बीनने वालों की स्थिति

–     दस में से छह सफाई साथियों के पास नहीं है अपना बैंक खाता

–     केवल 21 प्रतिशत सफाई साथियों को जनधन योजना का लाभ मिला, जबकि अधिकारी सफाई साथियों ने कहा कि अब भी डिजिटल पेमेंट उनकी पहुंच से बाहर है।

–     आधार और मतदाता पहचान पत्र के अतिरिक्त साठ से 90 प्रतिशत सफाई साथियों के पास अन्य किसी तरह का औपचारिक प्रमाणपत्र जैसे जन्म प्रमाणपत्र, आय प्रमाणपत्र, जाति प्रमामणपत्र, रोजगार कार्ड आदि नहीं है।

–     पचास प्रतिशत सफाई साथियों के पास अपना राशन कार्ड अवश्य पाया गया

–     पांच प्रतिशत से भी कम सफाई साथियों के पास अपना स्वास्थ्य बीमा है।

–     अधिकांश सफाई साथी अस्थाई व अस्वच्छकर निवास जैसे टीनशेड्स या सड़क किनारे सोने को मजबूर हैं।

–     90 प्रतिशत सफाई साथियों ने यह स्वीकार किया कि नियमित रूप से पीने के पानी और बिजली की आपूर्ति होती है।

–     अधिकांश सफाई साथी लकड़ी आधारित ईंधन पर खाना बनाते हैं।

यूएनडीपी की सिफारिशें

–     सफाई साथियों की सामाजिक सुरक्षा के लिए कल्याणकारी योजनाएं लागू की जानी चाहिए

–     इस समुदाय के उत्थान के लिए आर्थिक योगदान को मजबूत और औपचारिक बनाना चाहिए।

–     सफाई साथियों की आजीविका के लिए अतिरिक्त कौशल विकास प्रशिक्षण और रोजगार के विकल्प बढ़ाने चाहिए।

–     सफाई साथियों के बीच सामाजिक सुरक्षा के ताने बाने को अधिक मजबूत किया जाना चाहिए।

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