1984 के दंगे की न्याय की लड़ाई अभी लंबी है लेकिन हम लड़ते रहेंगे: आर पी सिंह

नई दिल्ली:  केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि 1984 के नरसंहार को कोई नहीं भूलने वाला है। 37 साल बाद भी वह आज भी हमारे जेहन में वैसे ही जिंदा है। एक ऐसा नरसंहार जिससे देश का नाम बदनाम हुआ और वह आज भी एक काले अध्याय के रूप में भारतीय इतिहास में छप गया है। आज कांग्रेस कृत 1984 के दंगे को याद करते हुए लेखी ने कहा कि आज के समय में भी जो लोग हमें विभाजित करके शासन करना चाहते हैं उनसे बचने की जरूरत है।

मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कांग्रेस के शासन काल में हमेशा ही सिखों के साथ छलावा होता रहा। एसआईटी का झांसा देकर झूठी तस्सली दी गई जबकि न्याय की जगह सिखों को सिर्फ इंतजार ही मिला लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार आने के बाद एसआईटी गठित हुई और जांच हुई फिर सज़ा मिलनी शुरू हुई। उन्होंने कहा कि 84 के दंगों के बाद जो लोग गांधीवादी थे वे भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिये। इतना ही नहीं 4 कमीशन, 9 कमिटी और 2 एसआईटी गठित होने का सिर्फ कांग्रेस ने छलावा किया क्योंकि इन सब के बावजूद दंगो के आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि साल 2015 में जब नरेन्द्र मोदी सरकार ने एसआईटी टीम का गठन करके फिर से केस को ओपन करवाया तब जाकर इसमें शामिल दोषियों को सजा मिलनी शुरू हुई। लेखी ने कहा कि 84 के दंगे को ना भूलेंगे और ना ही माफ करेंगे।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सरदार आर पी सिंह ने कहा कि 1984 के दंगों की लड़ाई लड़ते हुए आज 37 साल हो गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे नेतृत्व के मिलने से  सज्जन कुमार जैसे लोग जेल गए हैं। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई अभी लंबी है लेकिन हम इसे जरूर लड़ेंगे और 84 के जनसंहार के बाकी दोषी जो बाहर हैं उन्हें भी हम सजा दिलवाएंगे। श्री सिंह ने कहा कि एक उम्मीद की किरण सिर्फ नरेंद्र मोदी से ही है क्योंकि उनके रहते ही न्याय मिलने की उम्मीद है।
प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष राजीव बब्बर ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लोगों को जाति और धर्म के आधार पर बांटने का काम कर रहे हैं, वह सबको पता है और दिल्ली की जनता भी इस बात को समझ चुकी है। इसलिए अब इनके छलावे में कोई नहीं आने वाला है। इस मौके पर प्रदेश भाजपा सिख सेल के  सह प्रभारी गुरमीत सिंह एवं संयोजक श्री कुलविंदर सिंह सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

Facebook Comments