कश्मीर में 90 के दशक से हज़ारों आम नागरिकों को मारा गया

नोएडा: समाजसेवी एवं अधिवक्ता रंजन तोमर द्वारा ग्रह मंत्रालय में लगाई गई एक आरटीआई द्वारा कई सुलगते सवालों के जवाब मिले हैं , श्री तोमर ने 1990 से लेकर अबतक आतंकवादी घटनाओं में मारे गए आम नागरिकों के बारे में जानकारी मांगी थी , इसके जवाब में जो जानकारी उनके पास आई है वह बेहद चौंकाने वाली है , इससे यह मिथक भी टूटा है की पिछले वर्षों में आतंकवादी घटनाओं से आमजनता की हत्या बढ़ी हैं।

1990 में जहाँ 461 आम नागरिकों को आतंकवादियों द्वारा मारा गया , वहीँ 1991 में यह आंकड़ा 382 , 1992 में 634 , 1993 में 747 , 1994 में 820 रही , वहीँ 1995 में यह काफी हद तक बढ़कर 1031 हो गई , 1996 भी इस लिहाज़ से खूनी  साल रहा जिसमें 1341 आम नागरिकों की हत्या कर दी गई।  1997 में फिर यह आंकड़ा 971 ,1998  में 889 , 2000 में 847 , 2001 में 996 , 2002 में फिर यह आंकड़ा एक हज़ार पार करके 1008 हुआ , 2003 में 795 ,2004 में 707 , 2005 में 557 , 2006 में 389 एवं 2007 में 158

2008  से कम होनी शुरू हुई हत्याएं

सं 2008 से हत्याओं का आंकड़ा कम होता रहा और सौ से  नीचे ही रहा , जहाँ 2008 में 91 लोगों की हत्या की गई , वहीँ 2009 में 71 ,2010 में 47 ,2011 में 31 ,2012 में 15 , 2013 में फिर 15, 2014 में 28 , 2015 में 17 ,2016 में 15 , 2017 में 40 , 2018 में 39 , 2019 में 39 , 2020 में 37  और 2021 में अबतक 24 आम नागरिकों की हत्या हुई है।
इन आंकड़ों से यह साफ़ होता है की हज़ारों की संख्या में निर्दोष भारतीय नागरिकों को आतंकवादियों ने मौत के घात उतारा है।  जिसमें सर्वाधिक 1990 के दशक में घटनाएं हुईं, इसके बाद धीरे धीरे इस प्रकार की घटनाएं कम होती गई , और अब धारा 370 हटने के बाद भी पिछले दिनों हुई घटनाओं के बावजूद आम नागरिकों  की हत्या नब्बे के दशक से कहीं कम हो पा रही हैं , जो की एक संतोषजनक बात है।

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