भरत जी को जब राम के वनवास का पता लगता है तो वह माता कैकयी को भला बुरा कहते हैं

नोयडा सेक्टर 82 स्थित निरंजनी अखाड़ा, ब्रम्हचारी कुटी में आयोजित श्री महालक्ष्मी यज्ञ एवं श्रीराम कथा के आठवें दिन यज्ञाचार्य महेश पाठक शास्त्री द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महालक्ष्मी यज्ञ कराया गया। कथा व्यास अतुल प्रेम जी महाराज ने आगे का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान राम ,लक्ष्मण सीता सहित चित्रकूट में वास करते हैं। भरत जी को जब राम के वनवास का पता लगता है तो वह माता कैकयी को भला बुरा कहते हैं। गुरु, माताओं और अयोध्या वासियों के साथ भगवान को मनाने के लिए चित्रकूट पहुंचते हैं।वल्कल वस्त्र एवं जटा धारण किये हुए सीता राम ऐसे लग रहे हैं जैसे रति और कामदेव ने मुनि का वेश धारण कर लिया हो। भगवान राम को भरत जी प्रणाम करते हैं और राम जी उन्हें अपने गले लगा लेते हैं। राम जी लौटने से मना करते है और भरत जी उनकी चरण पादुका लेकर सभी के साथ अयोध्या आ जाते हैं। इसके अलावा अतुल प्रेम जी ने  सीता हरण, हनुमान मिलन ,सुग्रीव राम मित्रता आदि रोचक प्रसंगों का भावपूर्ण वर्णन किया।

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