एमिटी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर चर्चा हेतु दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का अयोजन

लखनऊ 30 जनवरी 2019- डिजिटल युग में जीवन में दिन-प्रतिदिन स्माॅर्ट उपकरणों के लगातार बढ़ते उपयोग ने उन उपकरणों में प्रयुक्त होने वाली कृत्रिम बौद्धिकता की तकनीक की उयोगिता और खतरों पर पूरी दुनिया में एक नई बहस छेड़ दी है।

इस अत्याधुनिक तकनीकी के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के लिए एमिटी इंस्टीट्यूट आॅफ इंफारमेशन टेक्नोलाॅजी, एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर में ‘ कृत्रिम बौद्धिकता: शोध, नवोन्मेष एवं इसके प्रयोग’ विषय पर आधारित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन सीएआईआरआईए-2019 का आयोजन किया गया।

सम्मेलन का उद्घाटन माइक्रोसाफ्ट के आर्टिफिसियल इंटिलीजेंस और ब्लाॅक चेन के क्षेत्रीय निदेशक निशीथ पाठक, आईईटी लखनऊ के कम्प्यूटर विज्ञान के प्रोफेसर डाॅ. डी.एस. यादव, एआईआईटी लखनऊ के निदेशक डाॅ. सुनील कुमार खत्री, एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर के कार्यवाहक प्रति कुलपति प्रो. सुनील धनेश्वर एवं एमिटी विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश के चेयरमैन के सलाहकार सेवानिवृत्त मेजर जनरल के.के. ओहरी (एवीएसएम) ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया।

शोधकार्य एवं संभावनाएं विषय पर बोलते हुए डाॅ. डी.एस. यादव ने इंटरनेट आॅफ थिंग्स पर आधारित उपकरणों और उनसे जुड़ी चुनौतियों पर व्यापक चर्चा की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें अत्यंत सावधानी पूर्वक कृत्रिम बौद्धिकता पर आधारित उपकरणों का उपयोग करना चाहिए क्योंकि कृत्रिम बौद्धिकता अभी अपने विकास के प्रारम्भिक चरण में है और इसकी कार्यक्षमताओं के बारे में हम प्रमाणिक रूप से कोई दावा करने की स्थिति में अभी नहीं हैं।

निशीथ पाठक ने अपने सम्बोधन में कृत्रिम बौद्धिक तकनीकी पर आधारित उपकरणों एवं नेटवर्कों के आपसी समन्वय की आवश्यकता बताई। उन्होंने इस तकनीकी के 1950 में आगमन के साथ ही दुनिया भर में हो रहे बदलावों से भी परिचित कराया।

प्रोफेसर सुनील कुमार खत्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज के परिदृश्य में वर्चुअल रियलिटी दैनिक जीवन के कार्यों में महत्वपूर्ण हिस्सा बनती जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि कृत्रिम बौद्धिकता विकास के किसी भी स्तर पर मानव बुद्धिमत्ता से बढ़कर नहीं हो सकती।

सम्मेलन में आज प्रथम दिन पांच शोध पत्र प्रस्तुत किए गये। इसके बाद एक पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया। रोल आॅफ एआई टू सिम्पलीफाई द ह्युमन लाईफ विषय पर आयोजित इस चर्चा में डाॅ. डीएस यादव, डाॅ. ब्रिगेडियर अनिल तिवारी, ब्रिगेडियर यू.के. चोपड़ा और निशीथ पाठक निर्णायकों की भूमिका में रहे।

इस चर्चा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के रोबोटिक्स, स्वास्थ्य, स्वचालित वाहन ओर ट्रांस मिशन जैसे अनेक क्षेत्रों में प्रयोगों पर चर्चा की गई। चर्चा के दौरान यह तथ्य निकल कर आया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग जीवन के हर क्षेत्र में किया जा सकता है, परन्तु इसके उपयोग के प्रति अत्यंत सावधान रहने की आवश्यकता है।

सम्मेलन के दौरान सम्मेलन के तकनीकी सहयोगियों, कम्प्यूटर सोसाइटी आॅफ इंडिया के चेयरमैन राकेश पुरी, आईईटी-यूके इंडिया के मेम्बरशिप एवं पार्टनर शिप विभाग के विभागाध्यक्ष श्री राघवन को सम्मानित भी किया गया।

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