दलितों के हत्यारों को मौन समर्थन दे रही है कांग्रेस: संजय जायसवाल

पटना: कांग्रेस पर बरसते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि  देश में आंदोलन पहले भी होते रहे हैं, लेकिन सिंघु बॉर्डर पर किसानों के नाम पर चल रहे वर्तमान आंदोलन ने इस शब्द के मायनों को बदल दिया है. वास्तव में इसे आंदोलन कहना भी आंदोलनों का अपमान है. आंदोलनों की भी कुछ शुचिता होती है, कुछ नियम होते हैं और कुछ मर्यादाएं होती हैं. अगर यह न हों तो आंदोलन अराजकता बन जाता है. दिल्ली में चल रहा आंदोलन अब इसी दिशा में और आगे बढ़ चुका है.

उन्होंने कहा कि हमने पहले भी कई बार कहा है कि किसानों के हित के नाम पर शुरू हुए इस तथाकथित आंदोलन में किसानों की भूमिका नगण्य हैं. उनकी भूमिका महज ढाल सरीखी है, जिसके पीछे कांग्रेस और उसके सहयोगी और राष्ट्रविरोधी तत्व खड़े हैं. दोनों के निशाने पर मोदी हैं. राष्ट्रविरोधी तत्वों की मंशा तो फिर भी समझ में आती है. लेकिन गांधी, नेहरु की नीतियों पर चलने का दावा करने वाली कांग्रेस का ‘घर फूंक कर तमाशा देखने’ की मंशा समझ से परे है.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ज्यादा दिन नहीं बीते जब लखीमपुर खीरी में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद कांग्रेस और उसके मित्रों में आग में घी डालने की होड़ सी लगी हुई थी. युवराज आस्तीनें चढ़ाते हुए हमेशा की तरह लोकतंत्र और संविधान पर हमला बताने का अपना एकलौता राग अलाप रहे थे और दीदी एसीयुक्त खाली कमरे में कैमरे के समक्ष झाड़ू हिला कर  यूपी फतह करने के ख्वाब बुन रहीं थीं. लेकिन सिंघु बॉर्डर पर हुए एक निर्दोष और नीरीह दलित को अंगभंग करते हुए तड़पा कर मारने की घटना पर दोनों भाई-बहन मुंह सिले बैठे हैं. इस जघन्य और नृशंस काण्ड पर उनकी चुप्पी बहुत कुछ बता जाती है. इतना ही नहीं पंजाब की कांग्रेस सरकार ने तो संवेदनहीनता की सारी हदों को पार करते हुए लखबीर सिंह नामक इस दलित सिख के परिजनों को उनका मुंह तक देखने नहीं दिया. रात के अंधेरे में मोबाइल टॉर्च की रोशनी से आनन-फानन में अंतिम संस्कार कर दिया गया. लकड़ियाँ तुरंत आग पकड़े और सब कुछ जल्दी-जल्दी में निपट जाए, इसके लिए डीजल का इस्तेमाल किया गया. गांधी परिवार और पंजाब की कांग्रेस सरकार की यह बेरुखी साफ़ दर्शाती है कि यह पूरा किसान आंदोलन कांग्रेस द्वारा प्रायोजित है. कांग्रेस के निगाह में आंदोलनकारियों द्वारा की गई दलितों की हत्या का कोई मोल नहीं है. राजस्थान में भी दलित हत्या पर कांग्रेस का मौन समर्थन ही है.

उन्होंने कहा कि दरअसल अब यह बात देश का बच्चा-बच्चा समझ चुका है कि इस आंदोलन के पीछे के मास्टरमाइंड कौन हैं. कहते हैं कि जब सामने से वार करने की हिम्मत समाप्त हो जाती है तो कायरों की जमात छल-छद्म का सहारा लेने लगती है. मोदी से बार-बार मुंह की खाने के बाद पूरी तरह परास्त हो चुकी कांग्रेस अब इसी मार्ग पर बढ़ रही है. न तो इनमें देश की एकता और आपसी भाईचारे के फ़िक्र बची है और न ही जनता के प्रति रत्ती भर लगाव. इन्हें सिर्फ खानदान के सर पर ताज चाहिए. कांग्रेस की सत्तालोलुपता के इस कुंड में निरीह जानों की पड़ रही यह आहुति, कांग्रेस की खतरनाक मानसिकता का जीवंत प्रमाण है.

डॉ जायसवाल ने कहा कि अब वक्त जागने का है. विशेषकर किसानों और सिख समाज के शूरवीरों को खुद आगे बढ़कर इनका प्रतिकार करना होगा. जीवन में सम्मान से बढ़कर कुछ नहीं होता. किसी अन्य के निजी स्वार्थ की बलिवेदी पर अपने और अपने समाज की प्रतिष्ठा कुर्बान कर देना कहीं से न्यायोचित नहीं है.

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