बेतहाशा मंहगाई में देश की विकास दर घटी या बढ़ी

वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही अर्थात अप्रैल जून में देश की विकास दर अर्थात जीडीपी 20.1% रही। जिसे लेकर केंद्र सरकार की तरफ से भारतीय विकास दर में तेजी से हुई उछाल के रूप में दिखाया जा रहा है। सरकार के मंत्री नेता और उनकी आईटी टीम बड़े बड़े दावे करने में जुट गई है। उन सबकी माने तो देश अब तेजी से विकास की पटरी पर आ रहा है। भारत सरकार और उनके समर्थकों के अनुसार कोरोना महामारी सहित तमाम समस्याओं के बावजूद भी देश के विकासदर में 20.1% की वृद्धि हुई है।

हालांकि इसके पीछे की वजह कुछ और ही है। विश्व बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री रह चुके लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़े प्रसिद्ध अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने अपने एक ट्वीट में लिखा है कि “It needs just a little arithmetic to see that India’s Apr -June 2021 growth of 20.1% is shocking bad news. The 20.1% is in Comparison to Apr-June 2020 when India’s GDP had fallen by 24.4%. This means Compares to GDP in Apr-June 2019 (i.e. 2 years ago India’s had a Growth of -9.2% !
अर्थात् देश की विकास दर में 20.1% की बढ़ोतरी नहीं बल्कि अप्रैल और जून 2019 से तुलना करें तो हम पाएंगे कि भारत की विकास दर में अभी भी -9% की कमी है। जो वास्तविकता से अभी भी कोसों दूर है।
 बताते चलें कि पिछले साल की इसी तिमाही में जीडीपी में 24.4% की गिरावट दर्ज की गई थी। तब इसी भारत सरकार के मंत्री, नेता सहित आईटी टीम ने इसका ठीकरा पूर्ववर्ती सरकार पर फोड़ा था। पिछले वर्ष की पहली तिमाही में भारी गिरावट के कारण इस साल अप्रैल – जून तिमाही में जीडीपी रिकवर ग्रोथ सन्तोषजनक दिख रही है। लेकिन इसका मतलब यह कत्तई नही निकालना चाहिए कि देश की जीडीपी बढ़ी है। बल्कि सच्चाई यह है कि इसकी तुलना देश में कोरोना महामारी के दस्तक देने से पहले 2019-20 के अप्रैल-जून तिमाही से करें तो यह अभी भी 9.4% कम है।
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से पढ़े मशहूर अर्थशास्त्री व देश के पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने भी अपने एक ट्वीट में बताया है कि “2021-22 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी 32,38,828 करोड़ रही जो 2019-20 की पहली तिमाही से अब भी कम हैं तब देश की जीडीपी 35 ,66,788 करोड़ रुपए थी।
परंतु इन सभी आंकड़ों को दरकिनार कर देश के मौजूदा रेल मंत्री और पूर्व आईएएस अधिकारी अश्वनी वैष्णव ने ट्वीट कर लिखा है “It’s high jump recorded for GDP Growth too. 20.1% Growth. अर्थात इनका कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था ने बाउंस बैक कर दिया। बहरहाल अश्वनी वैष्णव का ट्वीट एक तरह से देखा जाय तो भारत सरकार में रेलमंत्री रहते हुए सरकार का बचाव करने के क्रम में उनके द्वारा किया जाना जायज भी है, क्योंकि इस समय वह केंद्र सरकार में रेल मंत्री हैं ऐसे में सरकार के खिलाफ कुछ बोलकर वह न तो सरकार की फजीहत कराना चाहेंगे और न ही रेलमंत्री पद को खोना चाहेंगे। लिहाजा जिस विकास दर का ढोल सरकार द्वारा पीटा जा रहा है दरअसल विकास दर में वृद्धि हुई तो है पर यह भी सच है कि देश की विकास दर अभी 9.4 प्रतिशत कम है।
उदाहरण के तौर पर इस बात को समझिए। मान लीजिए आप की कमाई कोरोना काल से पहले 1000 रुपए थी जिसमें लॉकडाउन के बाद आपकी कमाई सीधे आधी अर्थात 500 रुपए हो गई, अब फिर कुछ दिनों बाद आपकी कमाई में 25 % प्रतिशत की वृद्धि होती है तो ऐसे में आपकी कमाई 500 से बढ़कर 750 रुपए हो जाती है तो उसे आप अपने 1000 रुपए में से 250 रुपए का घाटा मानेंगे या 250 रुपए की वृद्धि ? फिलहाल देश के विकास दर की भी कहानी कुछ ऐसी ही है।
मजे कि बात यह है कि रिजर्व बैंक के मई और जुलाई की कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे की रिपोर्ट भी यह दिखाती है कि इसमें कोई सुधार नहीं हुआ है।
सरकार को नसीहत के तौर पर आर.बी.आई का कहना है कि सरकार को निजी खपत और कंज्यूमर कॉन्फिडेंस को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोल और डीजल पर लगे टैक्स को कम करने पर विचार करना चाहिए। इससे आम लोगों को सीधे फायदा पहुंचेगा और उनके हाथ में खर्च करने के लिए पैसा बढ़ेगा। क्योंकि महंगाई की सबसे बड़ी चोट मध्यम वर्गीय परिवार सहित गरीबों को लगती है लिहाजा ईंधन के दामों में कटौती बेहद जरूरी है। एक तरफ जहां इससे उनकी जिंदगी आसान होगी वहीं दूसरी तरफ खपत में भी इजाफा होगा।
कोरोना महामारी के कारण जहां एक तरफ देश की विकास दर में कमी आई है वहीं यह बात भी सच है कि कोरोना महामारी के बाद महंगाई दर भी बहुत ज्यादा बढ़ गई है। वहीं इसका सीधा असर मध्यम वर्गीय परिवारों और गरीबी की मार झेल रहे व्यक्तियों पर पड़ी है। कोरोना संकट के कारण जहां एक तरफ कारोबार, नौकरी, धंधा, बाजार पूरी तरह से ठप पड़ा है वहीं दूसरी तरफ अब महंगाई ने लोगों का जीना मुश्किल कर रखा है। खाने के तेल से लेकर दाल, सब्जियां, गैस सिलेंडर, दूध जैसी मूलभूत आवश्यकताओं वाली चीजों की कीमतें तेजी से आसमान छू रही हैं और आम जनता महंगाई की मार से कराह रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल में रिटेल महंगाई 4.23% पर थी जो मई में बढ़कर 6.30% हो गई। वहीं थोक महंगाई दर मई में बढ़कर रिकॉर्ड 12.94 फीसदी पर पहुंच गई। जबकि मई में ही खाद्य महंगाई 1.96 % से उछाल मारकर 5.01% के स्तरों पर पहुंच गई।
मई 2020 में 90 से 100 रुपये प्रति लीटर बिकने वाला सरसो तेल एक साल के भीतर 150-180 यहां तक कि 200 रुपए ली० तक बिक रहा है। वहीं पिछले एक महीने के भीतर सरकार ने एलपीजी सिलेंडरो के दामों में रिकॉर्ड 75 रुपए तक की बढ़ोतरी की है अर्थात देखा जाय तो सिर्फ 2021 में ही घरेलू गैस के दामों में 190 रुपए तक की बढ़ोतरी हुई है। जिसका सीधा असर मध्यम वर्गीय सहित निम्न परिवार झेल रहा है। बेतहाशा बढ़ती पेट्रोल और डीजल कि कीमतों ने तो पहले से ही लोगों के जेबे ढीली कर रखी है। लिहाजा केंद्र सरकार को महंगाई दर कम करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है।
उज्ज्वल मिश्रा (अर्नव)

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